extension of holidays: उत्तर प्रदेश इस समय भयानक गर्मी की चपेट में है। राज्य भर में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। चिलचिलाती धूप और तेज हवाओं ने लोगों का घरों से बाहर निकलना दूभर कर दिया है। दिन के समय सड़कों पर आवाजाही कम हो गई है और लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। इस भीषण गर्मी ने न केवल शहरी क्षेत्रों बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी अपना प्रभाव दिखाया है।
शिक्षा व्यवस्था पर गर्मी का प्रभाव
वर्तमान में प्रदेश के सभी स्कूलों में गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं। शिक्षा विभाग की योजना के अनुसार 16 जून से सभी स्कूल दोबारा खुलने वाले हैं। हालांकि, मौजूदा मौसमी हालात को देखते हुए यह निर्णय अब चर्चा का विषय बन गया है। शिक्षक और अभिभावक दोनों ही इस स्थिति को लेकर चिंतित हैं कि क्या इतनी तेज गर्मी में बच्चों को स्कूल भेजना उचित होगा।
शिक्षक संगठनों की आवाज
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ और विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन जैसे कई शिक्षक संगठनों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। इन संगठनों के प्रतिनिधियों ने शिक्षा मंत्री और संबंधित अधिकारियों को पत्र देकर स्कूलों की छुट्टियां बढ़ाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में स्कूल खोलना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा साबित हो सकता है।
संघ के अध्यक्ष विनय तिवारी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भीषण गर्मी और लू का बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। उनका मानना है कि इस स्थिति में स्कूल खोलने के निर्णय पर दोबारा विचार करना आवश्यक है।
मुख्यमंत्री तक पहुंची मांग
विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष तिवारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर 30 जून तक स्कूलों को बंद रखने की अपील की है। उनका तर्क है कि जब तक मौसम सामान्य नहीं हो जाता, तब तक बच्चों को स्कूल भेजना उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा। यह मांग इस बात को दर्शाती है कि शिक्षक समुदाय बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहा है।
अभिभावकों की दुविधा
स्कूल खुलने की तारीख नजदीक आने के साथ ही अभिभावकों की परेशानी भी बढ़ गई है। अधिकतर परिवार अपने बच्चों को इस तेज गर्मी में स्कूल भेजने से झिझक रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में तापमान में और भी वृद्धि हुई है, जिससे माता-पिता में चिंता का माहौल है। वे अपने बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर गंभीर हैं।
सरकारी निर्णय की प्रतीक्षा
फिलहाल राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि, शिक्षा विभाग के सूत्रों का मानना है कि यदि तापमान में जल्दी गिरावट नहीं आती है, तो बेसिक शिक्षा विभाग स्कूल खोलने की तारीखों में संशोधन पर विचार कर सकता है। यह स्थिति सरकार के लिए भी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा।
अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी निर्णय लेने से पहले संबंधित अधिकारियों और विश्वसनीय स्रोतों से नवीनतम जानकारी प्राप्त करने की सलाह दी जाती है।